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द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (7 सितम्बर, 1931 ई० )

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (7 सितम्बर, 1931 ई० ) द्विटीय गोलमेज सम्मेलन 7 सितम्बर, 1931 ई० को प्रारम्भ हो गया था, किन्तु महात्माजी 12 सितम्बर को सन्दन पहुँचे। इस समय के पक्के की राजनीतिक स्थिति बहुत परिवर्तित हो गयी थी। रेम्जे मैकडोनल्ड यद्यपि अब भी प्रधानमन्त्री थे, किन्तु वे एक राष्ट्रीय के प्रधान थे, जिसमें अनुदार और उदार दल के सदस्यों की प्रधानता थी। सर बेजवुड बेन के स्थान पर सर सेम्युअल होर, को भारी बहुमत प्राप्त हुआ। इस प्रकार द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की परिस्थितियाँ भारतीय समस्या के हल के अनुकूल न थीं। महात्मा गाँधी को उपस्थिति भी सम्मेलन को सफल नहीं बना सको। महात्मा गाँधी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय स्वरूप का प्रतिपादन किया और सुरक्षा बल व वैदेशिक मामलों पर पूर्ण नियन्त्रण सहित स्वराज्य की माँग को, लेकिन इस माँग का कोई विशेष प्रभाव नहीं। हुआ। मद्यपि नवीन विधान से सम्बन्धित कुछ विस्तार की बातें निश्चित की गर्यो। संघीय न्यायपालिका का ढांचा, संघीय विधानमण्डल क संगठन और रियासतों के अखिल भारतीय संघ के प्रवेश से सम्बन्धित कुछ बातें निश्चित की गयीं, लेकिन साम्प्रदायिक समस्या का का हल नहीं नि...