शरीर की स्वच्छता से मन प्रसन्न रहता है, शरीर में उत्साह, स्फूर्ति और प्रफुल्लता रहती है, शरीर निरोग रहता है, व्यक्तिगत स्वास्थ्य की देख-रेख एवं सुरक्षा
शरीर की स्वच्छता से मन प्रसन्न रहता है, शरीर में उत्साह, स्फूर्ति और प्रफुल्लता रहती है, शरीर निरोग रहता है, व्यक्तिगत स्वास्थ्य की देख-रेख एवं सुरक्षा
शरीर की स्वच्छता से मन प्रसन्न रहता है, शरीर में उत्साह, स्फूर्ति और प्रफुल्लता रहती है, शरीर निरोग रहता है, व्यक्तिगत स्वास्थ्य की देख-रेख एवं सुरक्षा
हमें शरीर के निम्नलिखित अंगों की स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए (1) त्वचा की स्वच्छता हमारा सारा शरीर त्वचा से ढका हुआ है। अन्दर की गन्दगी त्वचा द्वारा पसीने के रूप
बाहर निकलती है। पसीना निकालने के लिए त्वचा पर असंख्य
छिद्र होते हैं। यदि ये छिद्र बन्द हो जायँ तो पसीना शरीर से बाहर नहीं निकल पायगा और फिर सारी गन्दगी गुर्दों को ही निकालनी पड़ेगी, जिससे गुर्दे कमजोर हो जायेंगे। पसीना ऐसा तरल पदार्थ है, जिसमें बदबू होती है। यदि इसकी सफाई न की जाय तो कपड़ों तथा शरीर से भी बदबू आने लगेगी। स्नान करने से पसीना दूर होता है। शरीर से आलस्य भाग जाता है, मन प्रसन्न होता है। स्नान करने से रक्त संचार बढ़ जाता है, स्फूर्ति आती है। स्नान भी दो प्रकार से किया जाता है- (i) ठण्डे जल से, (ii) गरम जल से गर्मियों में ठण्डे जल से स्नान किया जाता है। सर्दी के मौसम में गरम जल से स्नान किया जाता है, स्नान करते समय साबुन का प्रयोग कम करना चाहिए। अधिक साबुन रगड़ने से त्वचा पर झुर्रियाँ जल्दी पड़ जाती हैं। शौचादि से निवृत्त होकर ही स्नान करना चाहिए। शौच से पहले ठण्डा जल पीना भदायक होता है। स्नान यदि गर्म पानी से करना हो तो बन्द स्थान में ही करना चाहिए। जहाँ तक हो स्नान में गरम जल का प्रयोग न किया जाय तो अच्छा है। दिन में कम-से-कम एक बार स्नान अवश्य करना चाहिए। गर्मियों में दो बार भी स्नान किया जा सकता है।
स्नान करना
(2) नाखूनों की स्वच्छता- हाथ-पैरों की उँगलियों में 20 नाखून हैं। ये बढ़ते रहते हैं। इनके बढ़ जाने पर नेलकटर कैंची से काट देना चाहिए। बढ़े हुए नाखून देखने में भद्दे लगते हैं। नाखूनों में गन्दगी भर जाती है, भोजन करते समय वह गन्द पेट में चली जाती है। वहाँ रोग के कीटाणु पनपकर शरीर को रोगी बना देते हैं। नाखून को दाँत से नहीं काटना चाहिए, ही अधिक गहरा काटना चाहिए।
(3) बालों की स्वच्छता बालों से सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं और व्यक्तित्व निखरता है। बाल सदर्दी तथा
गम
में त्वचा की रक्षा करता है। शरीर के सभी अंगों के बाल उपयोगी हैं। बालों की सुन्दरता के बारे में तनिक-सी भी असावधा नहीं बरतनी चाहिए। तनिक-सी असावधानी से असमय में बाल सफेद हो जाते हैं, बालों की चमक चली जाती है। बा की जड़ों से एक चिकना तरल पदार्थ निकलता है, अतः यदि सिर में गन्दगी होगी और छेद बन्द हो जायेंगे तो चिकना पदार्थ कम निकलेगा, जिससे कि बाल बढ़ने रुक जायेंगे, रूखापन आ जायेगा। बालों को दही, रीठा, बेसन, आँवले, मुल्तानी मिट्टी से धोना चाहिए। सिर में कम-से-कम दो बार कंघा करना आवश्यक है। इससे बालों में से धूल, जुईं आदि निकल जाती हैं और रक्त संचार बढ़ जाता है। यदि सिर में जुईं पड़ जायँ तो जूँ को समाप्त कर देना चाहिए। इसके कुछ उपाय
निम्नलिखित हैं (i) शरीफे के बीज को सुखाकर, पीसकर गोले के तेल में मिलाकर सिर में लगाने से जुईं मर जाती हैं।
(ii) सोडे में सिरका मिलाकर सिर में लगाने से भी जुईं मर जाती हैं। (iii) लहसुन के रस को नींबू के रस में पीसकर लगाने से भी जुईं तथा लीखें मर जाती हैं।
बालों की स्वच्छता
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