स्वतन्त्रता आन्दोलन में योगदान
•बारदोली सत्याग्रह गुजरात के सूरत जिले में स्थित बारदोली 1922 ई. के बाद राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया था, जिसका प्रमुख कारण लगान वृद्धि थी। 1926-27 ई. में कपास के मूल्यों में गिरावट के बावजूद सरकार ने बारदोली में राजस्व 22% बढ़ा दिया। किसानों की ओर से आन्दोलन का नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल के द्वारा किया गया। इस आन्दोलन के संचालन में मिली सफलता के कारण बारदोली की महिलाओं के द्वारा इन्हें 'सरदार' की उपाधि से विभूषित किया गया।
देशी रियासतों का भारत संघ में विलय इन्होंने दूरदर्शिता, उदारता तथा कठोर निर्णय के कारण रियासतों के विलय में आई बाधा को दूर किया। सर्वप्रथम इन्होंने रक्षा, विदेशी मामलों और संचार के विषयों में देशी रियासतों को सम्मिलित किया फिर उनका संगठन करके अन्त में पूरी तरह से केन्द्र में विलय कर दिया, इनके प्रयासों से 15 अगस्त, 1947 तक जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को छोड़कर सभी रियासतें भारतीय संघ में सम्मिलित हो गईं। फरवरी, 1948 में रेफरेण्डम के द्वारा जूनागढ़ का विलय 20 जनवरी, 1949 को काठियावाड़ के संयुक्त राज्य में किया गया। हैदराबाद को पुलिस कार्रवाई के द्वारा 1 नवम्बर, 1948 को भारतीय संघ में सम्मिलित किया गया। अन्त में जम्मू-कश्मीर का महाराजा भी 26 अक्टूबर, 1947 को भारत संघ में विलय के प्रवेश-पत्र पर हस्ताक्षर कर इसमें शामिल हो गया।
प्रश्न 10. नरमपन्थी एवं गरमपन्थी कांग्रेसियों की नीतियों एवं कार्यक्रमों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
(2014)
उत्तर कांग्रेस की नरमपन्थी नीति के खिलाफ 1899 ई. से ही असन्तोष व्यक्त किया जाने लगा था। प्रिन्स ऑफ वेल्स के भारत आगमन के समय उनके स्वागत के प्रश्न पर नरमपन्थी और गरमपन्थी गुटों में विवाद हो गया था। 1906 ई. में 'बहिष्कार' के अस्त्र को पूरे भारत में लागू करने के प्रश्न पर भी उनमें विवाद हुआ, इसके अतिरिक्त स्वदेशी, शिक्षा जैसे मुद्दे भी विवाद के प्रमुख कारण रहे। यह विवाद बढ़ता गया और 1907 ई. के सूरत अधिवेशन में नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस
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