फ्रांस की क्रान्ति
फ्रांस की क्रान्ति विश्व की एक महान् क्रान्ति थी। 14 जुलाई, 1789 ई. में फ्रांस में क्रान्ति प्रारम्भ हुई। यह क्रान्ति निरंकुश एवं स्वेच्छाचारी सम्राटों के खिलाफ थी। फ्रांस की राज्य क्रान्ति (1789 ई.) से पूर्व इंग्लैण्ड (यूरोप) में 1688 ई. तथा अमेरिका में 1776 ई. की राज्य क्रान्तियाँ हो चुकी थीं। इस समय पादरियों, •सामन्तों एवं उच्च अधिकारियों को राज्य की ओर से विशेषाधिकार प्राप्त थे तथा ये इन विशेषाधिकारों का दुरुपयोग किया करते थे।
फ्रांसीसी क्रान्ति के कारण
फ्रांसीसी क्रान्ति को आरम्भ करने के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे
1. राजनीतिक कारण
• फ्रांस के शासक तानाशाही प्रवृत्ति के थे तथा उनकी शासन व्यवस्था दोषपूर्ण
थी।
. फ्रांस में आम जनता को व्यक्तिगत स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं थी, जबकि उच्च वर्गों को विशेष अधिकार प्राप्त थे। जाता था
राजा के द्वारा नागरिकों पर अनेक नए-नए करों का अधिरोपण किया और प्राप्त करों को राजा अपने भोग-विलास पर खर्च करते थे।
सैनिकों की उन्नति के द्वार बन्द थे, जिसके कारण सेना में असन्तोष उत्पन्न हुआ, जो फ्रांस की क्रान्ति का एक प्रमुख कारण बना। अमेरिका के स्वाधीनता संग्राम में लफायते के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने भाग लिया था, जो फ्रांस के क्रान्तिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।
2. सामाजिक कारण
फ्रांसीसी समाज की दशा अत्यन्त दयनीय थी। यहाँ समाज के तीन वर्गों (पादरी
वर्ग, कुलीन वर्ग एवं साधारण वर्ग) में से पादरी एवं कुलीन वर्ग विशेषाधिकार
प्राप्त वर्ग थे जबकि साधारण वर्ग को कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं थे। इसी
कारण क्रान्ति प्रारम्भ होते ही इस वर्ग को जोरदार समर्थन प्राप्त हुआ। फ्रांसीसी मध्यम वर्ग में न केवल व्यापारी तथा उद्योगपति लोग शामिल थे, बल्कि वकील, डॉक्टर, इंजीनियर आदि शिक्षित लोग भी शामिल थे। आर्थिक रूप से सशक्त होने पर भी इनकी सामाजिक स्थिति अति निम्न थी। .
फ्रांस में किसानों एवं कामगारों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। किसानों को बँधुआ मजदूरों की तरह काम करना पड़ता था।
3. आर्थिक कारण
• जनता का आर्थिक शोषण करना अर्थात् उन पर विभिन्न प्रकार के कर लगाना।
अमेरिका को सैनिक और वित्तीय सहायता देने के परिणामस्वरूप फ्रांस की वित्तीय स्थिति और खराब होना।
. बढ़ती महँगाई और 1788 ई. में पड़े अकाल के कारण निर्धन जनता की स्थिति और अधिक दयनीय होना।
4. धार्मिक कारण
फ्रांस के उच्च वर्ग के पादरियों में भ्रष्टाचार पूर्णरूप से व्याप्त था। • फ्रांस की जनता को धार्मिक स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं थी। इसके अतिरिक्त इस क्रान्ति पर दार्शनिकों का भी विशेष प्रभाव पड़ा। रूसो,
मॉण्टेस्क्यू इत्यादि ने फ्रांस की जनता को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक बुराइयों का ज्ञान कराया, जिससे वहाँ बौद्धिक जागृति फैल गई तथा जनता न्याय, स्वतन्त्रता और समानता के लिए प्रयत्नशील हो गई।
फ्रांस की क्रान्ति का तात्कालिक कारण स्टेट्स जनरल का अधिवेशन था। यह फ्रांस
की प्राचीन संसद थी।
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