: सैनिक कारण

सैनिक कारण

सैनिक कारण

1857 ई. की क्रान्ति के सैनिक कारण निम्नलिखित हैं सैनिकों में भेदभाव अंग्रेजी सेना में कार्यरत् भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों के मध्य भेदभाव का व्यवहार किया जाता था। भारतीयों को पदोन्नति न के बराबर दी जाती थी तथा इन्हें उच्च पदों पर भी नियुक्त नहीं किया जाता था।

समुद्र पार जाने की अनिवार्यता अंग्रेजों द्वारा 1856 ई. में एक कानून बनाया गया। इस कानून में यह प्रावधान किया गया कि आवश्यकता पड़ने पर भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों की ओर से लड़ने के लिए समुद्र पार भी भेजा जा सकता था। इसे सैनिकों के द्वारा मना नहीं किया जा सकता था, जबकि हिन्दू सैनिक धार्मिक कारणों से समुद्र पार नहीं जा सकते थे।

सैनिक कारण

सैनिकों में भेदभाव

समुद्र पार जाने की अनिवार्यता

रियासती सेना की समाप्ति

• अफगान युद्ध का प्रभाव

क्रीमिया युद्ध

चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग

रियासती सेना की समाप्ति अंग्रेजों द्वारा 1856 ई. में अवध को अंग्रेजी राज्य में मिला दिया गया और अवध की लगभग 60 हजार रियासती सेना को भंग कर दिया गया, इससे 60 हजार सैनिक बेरोजगार हो गए। इसके परिणामस्वरूप बेरोजगार सैनिकों में क्रान्ति की लहर उत्पन्न हो गई।

अफगान युद्ध का प्रभाव प्रथम अफगान युद्ध (1838-1842 ई.) में अंग्रेजों की पराजय हुई। इस पराजय ने भारतीय सैनिकों में इस धारणा को जन्म दिया कि जब अफगान सैनिकों के द्वारा अंग्रेज पराजित हो सकते हैं, तो फिर भारतीय सैनिकों के द्वारा क्यों नहीं।

क्रीमिया युद्ध क्रीमिया युद्ध (1854-1856 ई.) में अंग्रेजों की पर्याप्त सेना समाप्त हो गई थी, जिसे भारतीयों ने उचित अवसर समझकर क्रान्ति करने का निश्चय कर लिया।

चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग 1856 ई. में सरकार ने पुरानी लोहे वाली बन्दूक ब्राउन बैस के स्थान पर न्यू एन्फील्ड रायफल के प्रयोग का निश्चय किया। इस रायफल में कारतूस के ऊपरी भाग को मुँह से काटना पड़ता था। जनवरी, 1857 को बंगाल सेना में यह अफवाह फैल गई कि कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी लगी है। इस घटना ने चिंगारी का कार्य किया और मंगल पाण्डे ने विद्रोह की शुरूआत कर दी।

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