: इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति प्रारम्भ होने के कारण

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति प्रारम्भ होने के कारण

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति प्रारम्भ होने के कारण

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के कारण निम्नलिखित थे इंग्लैण्ड में लोहा तथा कोयला निकटवर्ती क्षेत्रों में उपलब्ध था, जिससे मशीनों का विकास सुगम हो गया।

. पूर्व के देशों के साथ व्यापार करके इंग्लैण्ड के व्यापारियों ने पर्याप्त मात्रा में पूँजी एकत्र कर ली थी। उपनिवेशों से इंग्लैण्ड को न केवल सस्ता कच्चा माल एवं श्रमिक मिलते थे,

बल्कि तैयार माल के लिए विशाल बाजार भी उपलब्ध था। • भाप का इंजन, रेल इंजन, फ्लाइंग शटल, स्पिनिंग जैनी, पावरलूम जैसे औद्योगिक आविष्कार इंग्लैण्ड में ही हुए। थे।

औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव

यूरोपीय महाद्वीप के विभिन्न देशों पर औद्योगिक क्रान्ति के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े। औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप वहाँ के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में अनेकों परिवर्तन हुए, जो निम्नलिखित हैं

सामाजिक जीवन पर प्रभाव

• नगरों का विकास औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप पुराने नगरों का विकास एवं नए नगरों की स्थापना हुई, जिससे जनसंख्या वृद्धि होने लगी तथा वहाँ अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गईं। जन-सुविधाओं का अभाव हो गया तथा प्रदूषण बढ़ने लगा।

श्रमिकों एवं स्त्रियों की दयनीय दशा औद्योगिक पूँजीवाद ने श्रमिकों का शोषण प्रारम्भ कर दिया। कम वेतन तथा बिना सुरक्षा व्यवस्था तक कार्य करना पड़ता था। बीमार या दुर्घटनाग्रस्त होने पर काम से निकाल दिया जाता था। अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए स्त्रियों एवं बच्चों को भी कम मजूदरी पर काम पर लगा दिया श्रमिकों एवं स्त्रियों की दयनीय दशा . उद्योगपतियों का विलासितापूर्ण जीवन गया। बाद में कुछ सरकारों ने इनके काम पर रोक लगा दी।

सामाजिक जीवन पर प्रभाव

का ध्यान रखे, उनको 18 घण्टे नगरों का विकास

दो नए वर्गों का उदय

. नैतिकता एवं धार्मिक मूल्यों का पतन

. अव्यवस्थित बस्तियों की स्थापना

. दो नए वर्गों का उदय औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप सामाजिक जीवन में अनेकों परिवर्तन हुए। समाज में 'पूँजीपति' एवं 'श्रमिक' नामक दो वर्गों का उदय हुआ। इन दो वर्गों में परस्पर संघर्ष चलता रहता था। सामाजिक जीवन में एक उल्लेखनीय परिवर्तन यह भी हुआ कि श्रमिकों के द्वारा अपने परिवारों से पृथक् चले जाने के कारण पारिवारिक विघटन प्रारम्भ हो गया, इसके अतिरिक्त, सामाजिक जीवन का मापदण्ड भौतिक साधनों की सम्पन्नता बन गया।

• नैतिकता एवं धार्मिक मूल्यों का पतन औद्योगिक क्रान्ति के कारण समाज में धार्मिक मूल्यों और धार्मिक मान्यताओं में अनेक परिवर्तन हुए। उत्पादन के विभिन्न साधन सुलभ हो जाने से लोगों की इच्छाएँ असीमित होती चली गई और वे भौतिकतावादी होते चले गए। धन के आधार पर ही व्यक्ति का मूल्यांकन किया जाने लगा और नैतिकता, सदाचरण, चरित्र इत्यादि को विस्मृत किया जाने लगा। धर्म का भी व्यावसायिक उपयोग होने लगा।

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