: 1857 ई. की क्रान्ति के आर्थिक कारण निम्न हैं

1857 ई. की क्रान्ति के आर्थिक कारण निम्न हैं



1857 ई. की क्रान्ति के आर्थिक कारण निम्न हैं

. किसानों की दयनीय स्थिति ब्रिटिश सरकार की अत्यधिक लगान नीति के कारण उत्तरी भारत के अधिकतर क्षेत्रों के जमींदारों में आक्रोश व्याप्त था, क्योंकि लगान की राशि बहुत ज्यादा थी, इसमें उस समय वृद्धि की . भारतीय धन का ब्रिटेन चले जाना गई थी, जब किसान विभिन्न प्राकृतिक विपदाओं से घिरे थे।

आर्थिक कारण

किसानों की दयनीय स्थिति भारतीय व्यापार की हानि

हस्तशिल्पियों की दुर्दशा

भारतीय व्यापार की हानि ब्रिटिश शासन की शोषणकारी नीति के परिणामस्वरूप भारतीय व्यापार समाप्त हो गया। ब्रिटिश यहाँ से कच्चे माल सस्ते मूल्य पर खरीद कर ले जाते और उससे तैयार माल को भारत में बेचते थे, जिसके कारण भारतीय व्यापारियों में असन्तोष उत्पन्न होने लगा था, जिसका परिणाम 1857 ई. की क्रान्ति के रूप में देखने को मिला।

हस्त-शिल्पियों की दुर्दशा उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यतः हस्त-शिल्पियों पर निर्भर थी। कम्पनी के व्यापार के बाद इन हस्त शिल्पियों की स्थिति अत्यन्त ही दयनीय हो गई।

भारतीय धन का ब्रिटेन चले जाना कम्पनी के अधिकारी और कर्मचारी कुछ थोड़े समय के लिए भारत आया करते थे। अतः ये आने के बाद अधिक-से-अधिक धन कमाने में लगे रहते थे। इनका ध्यान केवल कम्पनी के कोष को बढ़ाने में लगा रहता था, जिसके परिणामस्वरूप भारतीयों को अनेक प्रकार से कष्ट सहने पड़ते थे। इन कारणों से भारतीय ब्रिटिशों से मुक्त होने के लिए अवसर ढूँढते रहते थे।

सामाजिक एवं धार्मिक कारण

1857 ई. की क्रान्ति के महत्त्वपूर्ण सामाजिक एवं धार्मिक कारण निम्नलिखित हैं

सामाजिक प्रथाओं पर प्रतिबन्ध विलियम बैण्टिंक एवं डलहौजी के समय हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों को करने के लिए कानून बनाए गए; जैसे- सती प्रथा, कन्या वध, बाल विवाह का निषेध एवं विधवा विवाह का समर्थन। ये कानून तो उपयोगी थे, लेकिन तत्कालीन रूप से इन्होंने समाज में असन्तोष को उत्पन्न किया।

सामाजिक एवं धार्मिक कारण

सामाजिक प्रथाओं पर प्रतिबन्ध

• पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कृति का

प्रचलन भेदभाव की नीति

ईसाई धर्म का प्रचार

ईसाइयों को विशेष सुविधाएँ

• पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कृति का प्रचलन अंग्रेजों के द्वारा भारत में पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति का प्रचार किया गया। अंग्रेजों के द्वारा भारतीय साहित्य एवं स्थानीय भाषाओं की उपेक्षा की गई। लॉर्ड मैकाले के द्वारा अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया। भारतीय जनता के द्वारा इसका विरोध किया गया।

भेदभाव की नीति अंग्रेज हमेशा स्वयं को भारतीयों से श्रेष्ठ मानते थे। अंग्रेजों के द्वारा भारतीयों को हीन भावना से देखा जाता था तथा अनेक अपमानजनक शब्दों से सम्बोधित किया जाता था, जिसके परिणामस्वरूप भारतीयों में अंग्रेजों के प्रति असन्तोष उत्पन्न हुआ।

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