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जिज्ञासा की जाग्रत भावना बौद्धिक | 15वीं सदी में नए स्थलों की खोज के लिए उत्तरदायी परिस्थितियाँ
पुनर्जागरण आन्दोलन द्वारा जाग्रत की गई जिज्ञासा और साहस की भावना ने नए-नए देशों की खोज करने और नवीन समुद्री रास्तों का पता लगाने हेतु लोगों में बड़ी दिलचस्पी पैदा कर दी। यूरोप के अनेक देशों के व्यापारियों तथा शासकों ने नए देशों में धन संसाधनों और बाजारों का पता . • सम्राट द्वारा प्राप्त प्रोत्साहन • लगाने हेतु इन समुद्री यात्राओं हेतु वित्त की व्यवस्था की।
• जिज्ञासा की जाग्रत भावना खगोल विज्ञान एवं नक्शा-निर्माण का विकास
तुकों द्वारा कुस्तुनतुनिया
• निडर नाविक स्पेनवासियों
पर आधिपत्य
का मिशनरी उत्साह.
. खगोल विज्ञान एवं नक्शा-निर्माण का विकास खगोल विज्ञान और नक्शा- निर्माण की दिशा में हुए विकास से समुद्री यात्रा और आसान बन गई। दिशासूचक यन्त्र (कुतुबनुमा), उन्नतांशमापी (Astrolabe) और नए तैयार किए गए मानचित्रों तथा मार्गदर्शक पुस्तकों की सहायता से ये यात्राएँ बहुत सुगम एवं सुविधाजनक हो गईं। दिशासूचक यन्त्र की सहायता से, नौचालक महासागरों में दिशाओं का पता लगा सकते थे और उन्नतांशमापी किसी क्षेत्र विशेष के अक्षांश का पता लगाने में मदद करने लगा। इस प्रकार व्यावहारिक भूगोल तथा नौचालन विज्ञान में उन्नति होने के साथ-साथ वाणिज्य एवं व्यापार में आशातीत वृद्धि होने लगी।
तुर्कों द्वारा कुस्तुनतुनिया पर आधिपत्य 1453 ई. में तुकों द्वारा कुस्तुनतुनिया पर आधिपत्य कर लिए जाने के बाद पश्चिम और पूर्व के मध्य व्यापारिक मार्ग यूरोपियनों हेतु बन्द हो गए। पुर्तगाल और स्पेन को भारत और इण्डोनेशिया के साथ व्यापार से पर्याप्त लाभ होता था और पुर्तगाल तथा स्पेन के लोग इस लाभ को छोड़ने हेतु कदापि तैयार न थे। अतः पूर्वी देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध बनाए रखने हेतु उन्होंने नवीन जलमार्गों का पता लगाया।
. निडर नाविक 16वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों और 16वीं सदी के प्रारम्भिक वर्षों में यूरोप के निडर नाविकों ने जोखिम उठाते हुए लम्बी-लम्बी यात्राएँ करके नवीन देशों की खोज करने में सफलता हासिल की थी, इसलिए पुनर्जागरण युग को 'भौगोलिक खोजों' का युग भी कहा जाता है। भौगोलिक खोजों के लिए सबसे पहले स्पेनिश एवं पुर्तगाली नाविक आगे आए। उसके पश्चात् इंग्लैण्ड, फ्रांस, हॉलैण्ड और जर्मनी के नाविक भी खोज अभियान में जुट गए। इस युग में खोजी यात्राओं हेतु कतिपय अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान थीं, जिनके फलस्वरूप सुगमता से खोजी अभियान जारी हुआ।
स्पेनवासियों का मिशनरी उत्साह आइबेरियन प्रायद्वीप में इस्लामी शक्ति पर स्पेनवासियों की विजय ने उनमें नया धार्मिक उत्साह पैदा किया। इस उत्साह ने उन्हें गैर-ईसाई लोगों में ईसाई धर्म के प्रचार की प्रेरणा दी। इस भावना से भी वे समुद्र पार जाने को तैयार हुए। भौगोलिक एवं तकनीकी ज्ञान ने सामुद्रिक यात्राओं को बल प्रदान किया।
सम्राट द्वारा प्राप्त प्रोत्साहन पुर्तगाली शासक हेनरी, नाविक हेनरी (Henry the Navigator) के नाम से विख्यात था। वह स्वयं तो एक नाविक नहीं था, परन्तु उसने भौगोलिक खोजों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सराहनीय कार्य किए, इसने नाविकों हेतु एक प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया एवं अन्वेषण यात्राओं को प्रोत्साहित किया। इसने पोत निर्माताओं को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई और लम्बी दूरी की यात्राओं हेतु उपयुक्त पोत निर्माण करने की सलाह दी। इसके द्वारा स्थापित यह केन्द्र नाविकों एवं वैज्ञानिकों का केन्द्र बन गया। इस प्रकार सम्राट हेनरी ने ऐसी परम्परा का विकास किया, जिसके फलस्वरूप खोजी यात्री न केवल उत्साहित हुए, बल्कि उन्हें आवश्यक सुविधाएँ भी प्राप्त हुई।
निष्कर्षत: हम देखते हैं कि पुनर्जागरण आन्दोलन द्वारा जाग्रत की गई जिज्ञासा और साहस की भावना ने नए-नए देशों की खोज करने एवं नवीन समुद्री रास्तों का पता लगाने हेतु लोगों में बड़ी दिलचस्पी पैदा कर दी। इसके अतिरिक्त नए वैज्ञानिक आविष्कारों, सम्राट हेनरी का बहुमूल्य योगदान एवं तुर्की द्वारा कुस्तुनतुनिया पर आधिपत्य कायम किया जाना इत्यादि कारकों ने 15वी
सदी में नवीन स्थलों के अन्वेषणों हेतु दिलचस्पी पैदा की थी।
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