: » अंग्रेजी सेना में तैनात भारतीय सैनिकों व यूरोपीय सैनिकों में भेदभाव किया जाता था।

» अंग्रेजी सेना में तैनात भारतीय सैनिकों व यूरोपीय सैनिकों में भेदभाव किया जाता था।

सैनिक कारण » अंग्रेजी सेना में तैनात भारतीय सैनिकों व यूरोपीय सैनिकों में भेदभाव किया जाता था। » अंग्रेजी सेना मे भारतीय सैनिकों को समुद्र पार जाने के लिए बाध्य किया जाता था, जो हिन्दू धर्म में निषिद्ध था। « अवध राज्य की सेना 1856 ई. में समाप्त कर दी गई, जिससे 60,000 सैनिक बेरोजगार हो गए। « अफगानों द्वारा अंग्रेजों को (1838-42 ई.में) पराजित करने से भारतीयों में उत्साह 'का सचार हुआ। # क्रीमिया युद्ध (1854-56 ई.) में अंग्रेजी सेना बड़ी संख्या में मारी गई, जिस कारण उनकी सैनिक शक्ति कम हो गई, जिसे भारतीयों ने अवसर समझा। तात्कालिक कारण 1856 ई. में सरकार ने पुरानी लोहे वाली बन्दूक ब्राउन बैस के स्थान पर न्यू एन्फील्ड रायफल के प्रयोग का निश्चय किया। इस रायफल के कारतूस के ऊपरी भाग को मुँह से काटना पड़ता था। इसमें गाय तथा सुअर की चर्बी का प्रयोग किए जाने की बात सैनिको में फैल गई तथा सैनिकों ने इसके इस्तेमाल से इनकार कर दिया। विद्रोह का प्रारम्भ « मंगल पाण्डे ही 1857 की क्रान्ति के अग्रदूत थे। 29 मार्च, 1857 को बंगाल के बैरकपुर में अंग्रेजी सेना के सिपाही मंगल पाण्डे ने अपने साथियों से विद्रोह का आह्वान किया और अग्रेज लेफ्टीनेंट बाग तथा ह्यूसन की गोली मारकर हत्या कर दी। 8 अप्रैल, 1857 को इन्हें फॉँसी दे दी गई। « 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी के सिपाहियों ने भी विद्रोह कर दिया तथा कारागार से अपने साथियों को छुड़ाकर दिल्‍ली की ओर कूच कर दिया तथा 12 मई, 1857 को दिल्ली पहुँचकर लाल किले पर अधिकार कर मुगल बादशाह बहादुरशाह “जफर' को क्रान्ति का नेता घोषित किया। अतः मेरठ में 10 मई, 1857 को ही 1857 की क्रान्ति की शुरूआत माना जाता है। * शीघ्र ही कानपुर, बनारस, लखनऊ, झाँसी, इलाहाबाद, फैजाबाद आदि स्थानों पर विद्रोह भड़क गया। « 1857 की क्रान्ति के नेता बहादुरशाह जफर अन्तिम मुगल सम्राट थे। # 1857 के विद्रोह में भाग लेने वाली महिलाओं में अवन्तीबाई रामगढ़ की शासिका थीं। रानी लक्ष्मीबाई झाँसी तथा बेगम हजरत महल लखनऊ की शासिका थीं। * 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख बलिदानी कुँवर सिंह जगदीशपुर बिहार से सम्बन्धित थे। विद्रोह का दमन * 1857 ई. की क्रान्ति के परिणाम स्वरूप ब्रिटिश सरकार ने विद्रोह का दमन करने के लिए सैन्य शक्ति का उपयोग किया तथा क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। सितम्बर, 1857 में दिल्‍ली पर पुनः अंग्रेजों का अधिकार हो गया। 6 दिसम्बर, 1857 को जनरल कॉलिन कैम्पबेल ने नाना साहब को हराकर कानपुर पर अधिकार कर लिया। जनरल ह्यूरोज ने झाँसी को पुन: जीत लिया। विद्रोह की असफलता के कारण विद्रोह की असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे « विद्रोह सीमित रूप में केवल उत्तर भारत में ही फैला था। « देशी नरेशों एवं सामनन्‍्तों ने देश के साथ गद्दारी की। विद्रोहियों में योग्य नेतृत्व एवं एकता का अभाव था। क्रान्तिकारियों के पास संगठन का भी अभाव था। क्रान्ति को अपेक्षित जनसमर्थन भी नहीं मिला। क्रान्तिकारियों में निश्चित उद्देश्य का भी अभाव था। अधिकांश क्रान्तिकारी अपनी-अपनी मॉगों के कारण विद्रोही बने थे। विद्रोही क्रान्तिकारियों के पास संसाधनों का अभाव था, जबकि ब्रिटिश सरकार संसाधन सम्पन्न थी। * अंग्रेजों की परिस्थितियाँ अनुकूल थीं एवं उनके पास कुशल नेतृत्व था। 1857 की क्रान्ति के परिणाम क्रान्ति के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित थे * भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन का अन्त हो गया तथा ब्रिटिश क्राउन ने भारतीय शासन को हस्तगत कर लिया।

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