(ख ) भू-आकृति
भारतीय भू भाग को भौगोलिक एवं उच्चावच विशेषताओ के आधार पर अनेक भौतिक अदेशो में विभाजित किया जाता है। भू-आकृति की दृष्टि से भारत में काफी विधिधता है। इसके समपूण केरल का 11% भाग पर्वतीय, 18% पहाड़ी, 28% पठारी एवं 43% भाग है। भारत के उत्तर में हिमालय पर्वतमाला अर्द्धचन्द्राकार रूप मे सिन्धु नदी के गार्ज से पूर्व मे ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक अविच्छिन्न रूप से फैली हुई है। हिमालय पर्वतीय प्रदेश की चार प्रमुख पर्वत श्रेणियाँ हैं--वृद्ध हिमालय, लघु हिमालय, शिवालिक हिमालय एवं ट्रास हिमालया इसमें वृद्ध हिमालय की औसत ऊंचाई सर्वाधिक है। हिमालय पर्वत श्रेणी के दक्षिण भाग में विशाल उत्तर भारत का विस्तृत मैदानी भाग स्थित है। विश्व का सर्वाधिक उपजाऊ मैदान होने के कारण यहाँ सघन जनसंख्या निवास करती है। इस विशाल मैदान का निर्माण जलोढ़ मृदा से हुआ है। भारत का दक्षिण भाग विश्व का ग्राचीनतम पठार है। यह प्राचीन दृढ़ शैलो से निर्मित है। खनिज सम्पदा के दृष्टिकोण से यह धनी क्षेत्र है। दक्कन का पठार लावा निर्मित है। तटीय भागों में पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट विस्तार उत्तर से दक्षिण की ओर है। पश्चिमी घाट श्रृखलाबद्ध एब पूर्वों घाट विश्वृंखलित है। प्रायद्वीपीय पठार का सर्वोच्च शिखर अन्नाईमुडी है--पश्चिमी भाग में थार मरुस्थल का विस्तार है, जहाँ विरल जनसंख्या मिलती है।
(ग) जल-निकास
जल-निकास तन्त्र को अपवाह-तन्त्र भी कहा जाता है। उद्गम की दृष्टि से भारतीय निकास तनन््त्र को दो भागो मे विभाजित किया जाता है, जो निम्न हैं
इमालयी अपयाह-तन््त्र
* हिमालयी अपवाह-तन्त्र मे गंगा नदी तन्त्र, ब्रह्मपुत्र नदी तन््त्र तथा सिन्धु नदी तन्त्र आते हैं, जबकि प्रायद्वीपीय अपवाह तन्त्र में महानदी, गोदावरी, कृष्ण, नर्मदा, तापी तथा कावेरी नदी तन्त्र आते हैं।
« सिन्यु नदी का उदगम तिब्बत के कैलाश पर्वत के समीप बोखर-चू हिमनद के समीपवर्तो हिमनद से होता है। सिन्धु नदी की कुल लम्बाई 2880 किमी है, जिसमे से भारत मे केवल 1114 किमी है। झेलम, व्यास, चिनाब, सतलज, रावी इसकी सहायक नदियाँ है।
*« गंगा नदी का उदगम हिमालय के ग्रोमुख़ हिमनद से होता है, जोकि उत्तराखण्ड के उत्तरकाशो जिले मे स्थित है, जिसकी कुल लम्बाई 2,510 किमी है। यमुना, सोन, रामगगा, घाघरा, गण्डक, कोसी आदि इसकी सहायक नदियों हैं।
« बहापुत्र नदी का उद्गम कैलाश पर्वत श्रेणी मे मानसरोबर झील के निकट चमांयुगडुंग हिमनद से होता है। तिब्बत मे इसे सांग्पो कहा जाता है। अरुणाचल प्रदेश से यह भारत में प्रवेश करती है। असोम मे यह दिहांग नाम से जानी जाती है। मानस, सुबनग्री, बराक, दिब्राग आदि इसकी सहायक नदियों हैं। यह बांग्लादेश मे पद्मा नदी से मिलकर बगाल की खाड़ी में गिरती है।
यद्वीपीय अपवाह-तन््त्र » आयद्वीपीय नदियों मे नर्मदा वे तापी पश्चिम की ओर बहती हैं। इस तन्त्र में शामिल महानदी का उदगम छत्तीसगढ़ के सिहावा, नर्मदा का अमरकण्टक तथा तापी का बैतूल जिले में मुलताई से होता है। » प्रायद्वीपीय नदी तन्त्र से सबसे बड़ा नदी तन्त्र गोदाबरी नदी का है, जिसे दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले से निकलती है। कृष्णा नदी का उदगम सहाद्रि पर्वत श्रृंखला मे स्थित महाबलेश्वर से
होता है।
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