विस्पन्द की परिघटना की व्याख्या (Explanation of Phenomenon of Beat)
विस्पन्द की परिघटना, ध्वनि के व्यतिकरण का एक विशेष उदाहरण है। जब किसी माध्यम में दो ध्वनि स्रोत एक कम्पन करते हैं, तो माध्यम में दो ध्वनि तरंगें एक दिशा में एक साथ आगे बढ़ती हैं। माध्यम के जिन बिन्दुओं पर दोनो तरंग समान कला में (अर्थात् उनके बीच कलान्तर = 2πm होता है) पहुँचती हैं, उन बिन्दुओं पर रचनात्मक व्यतिकरण होता है अर्थात् ध्वनि की परिणामी तीव्रता अधिकतम होती है तथा जिन बिन्दुओं पर दोनों तरंगें विपरीत कला में [अर्थात् उनके बीच कलान्तर = (2m - 1)π होता है] पहुँचती हैं, उन बिन्दुओं पर विनाशी व्यतिकरण होता है अर्थात् ध्वान की परिणामी तीद्रता न्यूनतम होती है।
जब दोनों तरंगों की आवृत्तियाँ बिल्कुल समान होती हैं, तो माध्यम के किसी बिन्दु पर पहुँचने पर उन दोनों तरंगों के बीच जो भी कलान्तर होता है वह समय के साथ स्थिर रहता है, इसी कारण उस बिन्दु पर ध्वनि की परिणामी तीव्रता स्थिर रहती है तेथा इसमें समय के साथ कोई परिवर्तन नहीं होता है अर्थात् इस स्थिति में माध्यम में अचर व्यतिकरण (stationary interference) होता है।
जब दोनों तरंगों की आवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं, तो माध्यम के किसी बिन्दु पर पहुँचने पर उन दोनों तरंगों के बीच जो भी कलान्तर होता है वह समय के साथ स्थिर नहीं रहता है तथा लगातार बदलता रहता है। इसी कारण उस बिच पर ध्वनि की परिणामी तीव्रता स्थिर नहीं रहती है तथा इसमें समय के साथ परिवर्तन होता रहता है। फलस्वरूप उस बिन्दु पर ध्वनि की परिणामी तीब्रता आवर्ती रूप से एकान्तर क्रम में अधिकतम तथा न्यूनतम होती रहती है तथा विस्पन्द सुनायी देते हैं। इस स्थिति में माध्यम में गत्यात्मक व्यतिकरण (dynamic interference) होता है।
माना आवृत्ति 128 तथा 130 के दो स्वरित्र द्विभुज एक साथ कम्पन करते हैं तथा इनसे निकली ध्वनि तरंगें माध्यम के किसी स्थान पर खड़े किसी श्रोता के कान पर किसी क्षण समान कला में पहुँच रही हैं। अतः उस क्षण श्रोता को अधिकतम
aan की ध्वनि सुनायी देती है। ; सेकण्ड में पहला तथा दूसरा स्वरित्र HAM: 32 तथा 32 ; कम्पन पूरे करेंगे, अत: ; सेकण्ड पश्चात्, दोनों तरंगों के बीच न कम्पन का अन्तर होने के कारण ये दोनों तरंगें श्रोता के कान पर विपरीत कलाओं में
पहुँचेंगी। अतः उस क्षण पर श्रोता को न्यूनतम तीव्रता की ध्वनि सुनायी देगी। न सेकण्ड पश्चात् दोनों तरंगों द्वारा किये गये
कम्पनों (क्रमशः 64 व 65) के बीच एक कम्पन का अन्तर होने के कारण ये दोनों तरंगें श्रोता के कान पर समान कला में पहुँचेंगी। अतः उस क्षण श्रोता को अधिकतम तीब्रता की ध्वनि सुनायी देगी। इसी प्रकार प्र सेकण्ड पश्चात् दोनों तरंगों aT
किये गये कम्पनों (क्रमशः 96 व 92) के बीच | न कम्पन का अन्तर होने के कारण, ये दोनों तरंगें श्रोता के कान पर विपरीत
कला में पहुँचेंगी। अतः उस क्षण श्रोता को न्यूनतम तीव्रता की ध्वनि सुनायी देगी। 1 सेकण्ड पूरा होने पर दोनों तरंगो a लगाये गये कम्पनों (क्रमशः 128 व 130) के बीच 2 कम्पन का अन्तर होने के कारण ये दोनों तरंगें Ma के कान पर समाह कला में पहुँचेंगी। अतः उस क्षण श्रोता को अधिकतम तीव्रता की ध्वनि सुनायी देगी। इस प्रकार श्रोता को एक Aas में घर की तीव्रता एकान्तर क्रम में दो बार न्यूनतम तथा दो बार अधिकतम सुनायी देगी अर्थात् एक सेकण्ड में दो विस्पन्द सुनायी देगे जो दोनों तरंगों की आवृत्तियों के अन्तर (= 130 - 128) के बराबर हैं। अत: विस्पन्द आवृत्ति( b) = दोनों तरंगों A आवुृत्तियों का अन्तर।
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