आवृत्ति तथा लगभग समान आयाम वाली दो ध्वनि तरंगों के एक ही दिशा में चलने पर, उनके अध्यारोपण कें परिघटना को व्यतिकरण कहते हैं। इस स्थिति में माध्यम के भिन्न-भिन्न बिन्दुओं पर ध्वनि की परिणामी भिन्न-भिन्न होती हैं, जो समय के सापेक्ष अपरिवर्तित रहती हैं अर्थात् माध्यम के कुछ बिन्दुओं पर सदैव अधिकत्म तथा कुछ अन्य बिन्दुओं पर सदैव न्यूनतम तीत्रता होती है। इस प्रकार के व्यतिकरण को अचर व्यतिकरण (stationary perference) कहते हैं, किन्तु यदि एक ही दिशा में चलने वाली दो ध्वनि (यांत्रिक) तरंगों की आवृत्तियाँ लगभग समान (बिलुल समान नहीं not exactly equal) हों, तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरूप माध्यम के प्रत्येक बिन्दु पर ध्वनि की (रिणामी तीब्रता का मान समय के साथ परिवर्तित होता रहता है अर्थात् माध्यम के प्रत्येक बिन्दु पर परिणामी तीव्रता, क्रम में आवर्ती रूप में अधिकतम (AA) तथा न्यूनतम (मन्द) होती रहती Bl इस प्रकार के व्यतिकरण को गत्यात्मक (dynamic interference) कहते हैं। माध्यम के किसी बिन्दु पर ध्वनि की परिणामी तीव्रता में होने वाले चढ़ाव एवं (increase and decrease or waxing and waning) को विस्पन्द (9८४) कहते हैं। ध्वनि की तीव्रता में होने बाते एक चढ़ाव तथा एक उतराव को मिलाकर एक Pare कहते हैं, अथवा एक दिशा में चलने वाली, थोड़ा भिन्न (अर्थात् हगमग समान) आवृत्ति वाली दो ध्वनि तरंगों के अध्यारोपण के फलस्वरूप, माध्यम के किसी बिन्दु पर ध्वनि की परिणामी तीव्रता में होने वाले आवर्ती परिवर्तन (periodic variation) की परिघटना को विस्पन्द कहते हैं।
ग्राध्म के किसी बिन्दु पर एक सेकण्ड में जितनी बार ध्वनि की तीव्रता में चढ़ाव अथवा उतराव होता है, उस संख्या को वियन आवृत्ति (beat frequency) कहते St विस्पन्द आवृत्ति का मान दोनों ध्वनि तरंगों की आवृत्तियों के अन्तर के बराबर होता है। यदि बिल्कुल समान आवृत्ति वाले दो स्वरित्र द्विभुजों को एक साथ बजाया जाये, तो माध्यम के किसी बिन्दु की परिणामी में समय के साथ कोई परिवर्तन (अथवा चढ़ाव व उतराव) नहीं होता है। परन्तु यदि एक स्वरित्र की किम्ती भुजा पर थोड़ा मोम लगा दिया जाये, तो उस स्वरित्र की आवृत्ति कुछ कम हो जाती है। अब इन दोनों स्वरित्रों को पुनः ए साथ बजाने पर माध्यम के उसी बिन्दु पर उत्पन्न ध्वनि की परिणामी तीव्रता में परिवर्तन (चढ़ाव व उतराव) स्पष्ट सुनायी देता है अर्थात् विस्पन्द सुनायी देते हैं। उस स्वरित्र की भुजा पर थोड़ा मोम और लगा देने पर उसकी आवृत्ति कुछ और कम हो Wet है तथा दोनों स्वरित्रों की आवृत्तियों का अन्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति में दोनों स्वरित्रों को पुन: एक साथ बजाने पर प्रति सेकण्ड सुनायी देने वाले विस्पन्दों की संख्या बढ़ जाती है अर्थात् ध्वनि की तीघ्रता में परिवर्तन पहले की War कुछ जल्दी होने लगते हैं।
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